सोमवार, 1 मार्च 2010

मिज़ाज़

किसके ज़हन में गहरा उतर जाऊं,
ताकि कोई ढूंढ़ न सके मुझे,
बहुत दिन बीत गए,
कहीं खोये हुए...

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