Dear Sir,
पिछले कई महीनों में मैंने आपको अपनी व्यवसायिक समस्याएं व्यक्तिगत तौर पर बताने के बाद ही ई-मेल का सहारा लिया था. पर अब तक किसी तरह का ठोस समाधान मुझे नहीं दिया गया है. मौखिक तौर पर जो भी बातें अब तक सामने आयीं, जैसे कि - ऊपर वाले कुछ कर रहे हैं, ऊपर बात हुई है उन्होंने कहा है कि कुछ करते हैं. इत्यादि. पर अब तक क्या हुआ है, कुछ भी जानकारी नहीं दी गयी है. कुछ चीज़ें जो मैंने आपसे मांगी हैं, वो increment, appraisal, promotion और bonus हैं. कोई भी मेहनती, ईमानदार एवं कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारी अपनी कंपनी से शायद इन्ही चीज़ों की मांग करता है. मैं ये पूछते-पूछते हताश हो चुका हूँ कि क्या कंपनी मेरे लिए कुछ कर रही है, हाँ या न? कोई जवाब नहीं मिला है. और जवाब न मिलने से मनोबल लगातार गिर रहा है और मानसिक परेशानी भी बढ़ रही है. मानसिक तनाव के चलते मेरा व्यक्तिगत जीवन भी प्रभावित हो रहा है. इस परेशानी को बर्दाश्त करने की मुझमें हिम्मत बहुत है लेकिन अब मैं इसे और बर्दाश्त नहीं करना चाहता. अब मुझे ऐसा लगने लगा है कि मैं शुरू से लेकर अभी तक अपने कार्यों के अतिरिक्त जो कार्य (Company name) के लिए कर चुका हूँ, शायद व्यर्थ थे. चाहे वो कंपनी के लिए working hours से ज्यादा 12-14 hours काम करना हो या फिर अवकाश के दिन भी अपनी सेवाएं देने में पीछे न हटना. कंपनी का मेरे प्रति लापरवाह रवैया होने से मेरे अन्दर का धैर्य जवाब दे चुका है और इसी धैर्य के समाप्त होने की वजह से मैं (Company name) को अपनी कर्त्व्यनिष्ठाता और कार्यों का मालिक होने के अधिकार से वंचित करता हूँ. इस वचन को संपूर्ण मानते हुए मेरे पद से मेरे इस्तीफे को मंज़ूर किया जाये. चूँकि कंपनी मेरे प्रति लापरवाह है किन्तु मुझमें थोड़ा विवेक बाकी है, अतः कंपनी को अगले सात दिनों तक मैं अपनी आपातकालीन सेवा दूंगा जिसमें कंपनी के मुझसे जुड़े हुए कार्यों का नुकसान न हो. ज्ञात हो मेरे इस कठोर कदम के लिए (Company name) का मेरे प्रति लापरवाह रवैया उत्तरदायी है जिसका ज़िक्र मैं अभी तथा पूर्व की सूचनाओं में कर चुका हूँ. मुझे उम्मीद है कि कंपनी मेरा अनुभव प्रमाण पत्र, चारित्रिक प्रमाण पत्र, वेतनमान और देयक देने में लापरवाही नहीं बरतेगी.
Regards
एक कर्तव्यनिष्ठ और मेहनती कर्मचारी.
2 टिप्पणियां:
Qaulity is better than quantity bro.
Best of luck
Regards
Ram K Gautam
Very well done bhai, practical likha hai bahut, ye sab padhne k baad ehsaas hota hai k kaash hum bhi apna koi khud ka business kar rahe hote to un 2 kaudi k employers k hathon apni kshamta aur atmavishvaas k bare mein sochne par majboor na hona padta jinhen khud kuch nahi aata jata siway muh chalane k.
magar ab bhi hum date hain aur poora vishvaas hai k un he employers ko dhool chata k rahenge unke competitors k yahan jaakar.
एक टिप्पणी भेजें