शनिवार, 13 जून 2009

प्यार? प्यार? प्यार?

क्या हुआ ? अरे यार रेडियो जौकी भी इंसान ही होते हैं, और प्यार जैसी चीज़ से कौन बचा है? तो याद आया मुझे कि कभी इस दौर से भी गुज़र चुका हूँ। अक्सर जब आप लव स्टोरीज़ देखते हैं (जैसे मैंने आज देखि " A Walk to Remember") तो आपको भी अपनी कहानी याद आने लगती है, लेकिन अपने साथ ऐसा कुछ नही हुआ.........सच्ची। अब क्या गीता पर हाथ रख कर कसम खानी पड़ेगी।

मेरे साथ मेरी एक दोस्त भी यही फ़िल्म देख रही थी, उसने भी मुझसे पूछा कि क्या तुम्हे अपनी गर्लफ्रेंड की याद नही आती ( तो यार अब नही आती तो नही आती, अब आप अगर याद को रिश्वत देकर काम करवा सकते तो भी मैं शायद उसे याद नही करना चाहता।) खैर फ़िल्म बहुत अच्छी थी। पर फ़िल्म देखने के बाद एक अहसास हुआ की अगर आप किसी से प्यार करने लगते हैं और चाहते हैं कि आप जिसे प्यार करते हैं उसे ये मालूम चल जाए कि आप उसे प्यार करते हैं और वो भी आपका प्यार स्वीकार कर ले, वो लम्हा कितना मजेदार होता है, जब आपका दिल उसे देखते ही बल्कि उसके बारे में सोचते ही आपका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगता है। हालाँकि जो फ़िल्म मैंने देखी, उसकी कहानी अलग थी। तो मैं फ़िल्म की बात नही कर रहा हूँ। अगर आपने उस लम्हे को जिया है तो शायद आपको बात समझ आए। अगर आपको इस बात का डर है कि अगर आप अपने प्यार का इज़हार करते हैं और वो आपके प्यार से इनकार कर देती है, तब आपका क्या होगा? वैसे एक चीज़ और भी है, अगर आपका प्यार स्वीकार हो भी जाता है तब शायद उन लम्हों जैसे feeling नही रह जाती।
जब आप किसी से प्यार कर बैठे हैं तो आपके लिए उस इंसान की हर एक चीज़ कीमती हो जाती है, उसकी बोली, उसकी गाली, उसका हँसना, उसका चीखना-चिल्लाना, उसका एक फ़ोन कॉल.....हाहाहाहाहाहाहा। और जब आपके प्यार का इकरार सामने वाला कर लेता है तब, तब तो कुछ दिन की मौज और उसके बाद....सुनो न; मैं काम कर रहा हूँ बाद में बात करेंगें या अभी मैं दोस्तों के साथ हूँ। अचानक प्यार की कीमत कम हो जाती हैं या प्यार करने का तरीका बदल जाता है। पहले जिसके लिए अपने ज़रूरी से ज़रूरी काम के बीच में से भी वक्त निकाल लिया करते थे, आज वही आपके वक्त के लिए तरस रहा होता है।
तो ये समझना बहुत मुश्किल है की ये प्यार किस खेत की मूली है, या ये मूली जैसा है भी या नही, जो देखने में सफ़ेद है और खाने के बाद....आप जानते हैं कि मूली खाने के बाद क्या होता है। खैर....पिछले महीने मैंने टेलिविज़न में एक मूवी देखी थी, "Life in a Metro" जिसमें एक बहुत अच्छा संवाद था....."रिश्ता (कोई भी रिश्ता) गारंटी कार्ड के साथ नहीं आता, प्यार होने से होता है और रिश्ता निभाने से निभ जाता है।" अच्छी बात कही थी बन्दे ने! खैर अभी शुभरात्री, बाकी बातें बाद में............

1 टिप्पणी:

रामकृष्ण गौतम ने कहा…

""सूखी

गुलदस्ते सी

प्यार की नदी


व्यक्ति

संवेग सब

मशीन हो गए

जीवन के

सूत्र

सरेआम खो गए

और

कुछ न कर पाई

यह नई सदी


वर्तमान ने

बदले

ऐसे कुछ पैंतरे

आशा

विश्वास

सभी पात सो झरे

सपनों की

सर्द लाश

पीठ पर लदी।""

"Dear Brother When You'll Think For LOVE Someone, Always Remember Those Above Lines!"
Refards - Ram K Gautam