गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

शहीदों का सम्मान

ग्वालियर में सचिन का दोहरा शतक एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है. इसमें कोई शक नहीं कि सचिन ने एक महान पारी खेली है. सचिन के इस दोहरे शतक का जश्न भारतीय अगले दो दिन तक ज़रूर मनाएंगे. हालाँकि सचिन ने जिस दिन इतिहास रचा उस दिन भारतीय रेल मंत्री ममता बेनर्जी भी अपने रेल बजट की पारी खेल रही थीं, और उनके इस रेल बजट का असर भारतीयों पर अगले एक साल तक ज़रूर रहेगा. वैसे आज के अखबारों और न्यूज़ चैनल्स में क्रिकेट और रेल बजट जैसी दो चीज़ें प्रमुखता से दिखाई जा रही हैं लेकिन कल के ही दिन श्रीनगर में एक आतंकी हमले के दौरान शहीद हुए सेना के कैप्टेन देविंदर सिंह जास,नायक सेल्वा कुमार और पैराट्रूपर इम्तियाज़ अहमद थोकर के बारे में बहुत कम अखबारों और न्यूज़ चैनल्स ने कवरेज दिया. बहुत दुःख की बात है कि हमारे देश के असली नायकों के लिए ज़्यादातर लोगों के पास वक़्त नहीं है. अब चाहे वो मीडिया ही क्यों न हो. शायद यही कारण भी है कि भविष्य बनाने के मामले में हमारे देश की युवा पीढ़ी की रूचि राजनीति, मनोरंजन और खेल के क्षेत्र में ज्यादा है जबकि सेना में जाने के लिए उनमें उत्साह काफी कम है. मेरा उद्देश्य सचिन के खेल की अहमियत कम करना नहीं है, मैं चाहता हूँ कि लोग उनका भी सम्मान करें जिनकी वजह से भारत के करोड़ों लोग बिना किसी डर के अपने-अपने टीवी सेट्स पर सचिन की सेंचुरी और शाहरुख़ की एक्टिंग देखते हैं. उन शहीदों को शत-शत नमन.

3 टिप्‍पणियां:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

मैं आपकी बात का पूरा समर्थन करता हूँ

shreya ने कहा…

agreed

shama ने कहा…

Shahadat mano rozki baat ho gayi hai..afsos!