वो कॉफ़ी हाउस की टेबल याद है तुम्हें?
बारह नंबर वाली,
जहाँ अक्सर हम बैठा करते थे,
कॉफ़ी पीते थे कभी, नाश्ता भी करते थे,
लड़ते भी थे कई बार वहां,
और कई बार सुलह भी करते थे,
अभी कुछ दिनों पहले मैं वहां गया था,
वो टेबल मुझे देख कर बोली,
अमां! आज अकेले ही आये हो?
वो नहीं आयी???
4 टिप्पणियां:
इस तरह की रचनाएँ भी अपना एक अलग महत्त्व रखती हैं .
बेहद उम्दा अभिव्यक्ति
table no.12...hhhhmmmm
sahi kaha anil ji ne
इस तरह की रचनाएँ भी अपना एक अलग महत्त्व रखती हैं
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