मंगलवार, 9 मार्च 2010

कोशिश

नफ़रत करने के कई बहाने तुम्हें दे दिए,
अब तो मुझे अपनी गिरफ्त से आज़ाद कर,
तुझे भूलने में मैं तो न जीत पाया,
तू अपनी नफ़रत को कामयाब कर...

2 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत खूब, लाजबाब !

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत खूब, लाजबाब !