गुरुवार, 15 मई 2014

बात जो आयी-गयी हो गई - 3

हमारे सपनों को चुनौती देने का किसी को कोई हक़ नहीं है, अगर कोई ऐसा करता है तो शायद वो ख़ुद ज़िन्दगी से हारा हुआ है.