शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2010

कॉफ़ी टेबल

वो कॉफ़ी हाउस की टेबल याद है तुम्हें?
बारह नंबर वाली,
जहाँ अक्सर हम बैठा करते थे,
कॉफ़ी पीते थे कभी, नाश्ता भी करते थे,
लड़ते भी थे कई बार वहां,
और कई बार सुलह भी करते थे,
अभी कुछ दिनों पहले मैं वहां गया था,
वो टेबल मुझे देख कर बोली,
अमां! आज अकेले ही आये हो?
वो नहीं आयी???

4 टिप्‍पणियां:

अनिल कान्त ने कहा…

इस तरह की रचनाएँ भी अपना एक अलग महत्त्व रखती हैं .

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

बेहद उम्दा अभिव्यक्ति

shreya ने कहा…

table no.12...hhhhmmmm

संजय भास्‍कर ने कहा…

sahi kaha anil ji ne
इस तरह की रचनाएँ भी अपना एक अलग महत्त्व रखती हैं