गुरुवार, 11 मार्च 2010

calling myself....

पूरा दिन निकल जाता है,
दूसरों से मिलने में,
पर कभी खुद से मिलने का,
वक़्त नहीं मिलता,
और जब मिलने की कोशिश करो,
तो वक़्त पूरा नहीं पड़ता,
कल रात खुद से मिलने की जद्दोजेहद में,
पता ही नहीं चला कि रात कब सो गयी,
पर मैं जागता रहा,
खुद से गुफ़्तगू करता रहा,

यहाँ-वहां के किस्से,
और बातें खुद से करता रहा,
यकीन मानो,
किसी और से मुलाकात इतनी मजेदार नहीं थी,
जितनी कि खुदसे...
अक्सर लोगों को कहते सुना था,
कि जब भी खुद का मोबाइल नंबर डायल करो,
तो नंबर बिज़ी ही मिलेगा,
लेकिन कभी खुद के दूसरे नंबर से,
कॉल करके देखना,
बाकायदा रिंग आएगी...
इसे कहते हैं, calling myself....

1 टिप्पणी:

संजय भास्‍कर ने कहा…

हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।