रविवार, 28 फ़रवरी 2010

चाँद की शरारत

चाय पीने के लिये दफ्तर से बाहर निकला तो देखा,
कि आज चाँद पूरा है फ़लक पर,
और झाँक रहा है ज़मीन की तरफ,
कुछ आगे बढ़ा तो पता चला कि,
तुम्हारी छत के बहुत नज़दीक है चाँद,
और ताक रहा है कि कब तुम ऊपर आओ,
चाँद भी बेहद शरारती हो गया है.

3 टिप्‍पणियां:

shreya ने कहा…

चाँद को तो सारी दुनिया यूँ भी दिखती है,
झाँकना उसकी आदत में शुमार नहीं,
और अगर आज उसने ऐसा किया भी है,
तो इसके पीछे शायद उसका कोई हाथ नहीं,
ज़रूर अपने दिल के हाथों मजबूर होगा बेचारा,
दीदार-ए-सनम को बेकरार होगा,
वरना झाँकना उसकी आदत में शुमार नहीं

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत खूब!!



ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.


आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

-समीर लाल ’समीर’

shama ने कहा…

चाँद भी बेहद शरारती हो गया है.
Sundar! Holi mubarak ho!